राह पे रूह का असर था उन दिनों शायद ,
अब रूह में राहों का एक ख़याल फिर से है
कुछ इन्ही दीवारों में छुपी है वो बातें आज तलक ऐसे ;
ठहरे , रुके समय की चादर पे सलवट और निशाँ कुछ स्याही जैसे ;
कभी कही थी जो बात हमने , कुछ इन शांत दीवारों से ..,
कल की कहानी वो, अब दीवारों के बीच के कुछ किस्से से ..
किस्सा कुछ पुराना सा , किस्सा उन दिनों का था ,
वोह जो उन दिनों हर शाम एक जश्न सा था ;
जश्न नहीं , बस ज़िक्र तुम्हारे आने का था ..
कुछ हर बार , इन्ही दीवारों को हम कुछ कह आते ;
जो हर बार तुम नहीं , आने का ख़याल आता
आज भी जब अपनी कहानी तुम्हें सुनाने का हैं सोचते ,
बस इन्ही दीवारों को देख ,
कभी यह हम पे , कभी हम खुद पे और कभी खुदी पे है मुस्कुरातें
अब रूह में राहों का एक ख़याल फिर से है ..
आज राह पे रूह का असर जो फिर से है ..!
एक ख्याल रहा यह राहों के नाम ही ,
यह जो आदत सी है , अपने किस्से इन रास्तों को सुनाने की |
_______________________________________________________________
And on that oblique and abstruse note, I say, welcome my precious reader.
On a tangential note, I wonder what if High Fidelity was based on someone who grew in India of 1990's.
The pertinent question propped up when a bunch of us glued to our laptops decided to move back in time a little. A few searches later, youtube started throwing some really interesting gems (like this here ) our way.
So, now if only someone manages to rope in Aamir Khan for the John Cusack role, the only thing left out of the equation would be the playlist. What would his playlist be like? Suggestions welcome.
Meanwhile, enjoy a little travel back in time:
अब रूह में राहों का एक ख़याल फिर से है
कुछ इन्ही दीवारों में छुपी है वो बातें आज तलक ऐसे ;
ठहरे , रुके समय की चादर पे सलवट और निशाँ कुछ स्याही जैसे ;
कभी कही थी जो बात हमने , कुछ इन शांत दीवारों से ..,
कल की कहानी वो, अब दीवारों के बीच के कुछ किस्से से ..
किस्सा कुछ पुराना सा , किस्सा उन दिनों का था ,
वोह जो उन दिनों हर शाम एक जश्न सा था ;
जश्न नहीं , बस ज़िक्र तुम्हारे आने का था ..
कुछ हर बार , इन्ही दीवारों को हम कुछ कह आते ;
जो हर बार तुम नहीं , आने का ख़याल आता
आज भी जब अपनी कहानी तुम्हें सुनाने का हैं सोचते ,
बस इन्ही दीवारों को देख ,
कभी यह हम पे , कभी हम खुद पे और कभी खुदी पे है मुस्कुरातें
अब रूह में राहों का एक ख़याल फिर से है ..
आज राह पे रूह का असर जो फिर से है ..!
एक ख्याल रहा यह राहों के नाम ही ,
यह जो आदत सी है , अपने किस्से इन रास्तों को सुनाने की |
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And on that oblique and abstruse note, I say, welcome my precious reader.
On a tangential note, I wonder what if High Fidelity was based on someone who grew in India of 1990's.
The pertinent question propped up when a bunch of us glued to our laptops decided to move back in time a little. A few searches later, youtube started throwing some really interesting gems (like this here ) our way.
So, now if only someone manages to rope in Aamir Khan for the John Cusack role, the only thing left out of the equation would be the playlist. What would his playlist be like? Suggestions welcome.
Meanwhile, enjoy a little travel back in time:
those were the worst of times,
ReplyDeletethose were the best of times,
all said, I infer: THOSE WERE THE TIMES :)
He he .. indeed, indeed...!
ReplyDeleteFor, we were all going direct to heaven, too for sure:P
mush and nancy drew and a bit of that tv series - hip hip hurray and a spate of yash raj movies ( which we believed in against our better judgment) and then, then became now and looking back...pehla nasha and akele hain toh kya gham hai could be a part of the play list..
ReplyDeletefor the abstract thought above...makes one want to fall in love and tells one not to...loved it!
Yo, thanks Aslam! Appreciation is much appreciated and contribution even more so :)
ReplyDeleteSo, lets see:
1. Sabse Peeche Hum Khade
2. Akele hain..
and I guess "mera kuch samaan has to make it too"!!